Latest

6/recent/ticker-posts

हिमाद्रि तुंग शृंग से



हिमाद्रि तुंग शृंग से



हिमाद्रि तुंग शृंग से

प्रबुद्ध शुद्ध भारती

स्वयंप्रभा समुज्ज्वला

स्वतंत्रता पुकारती

'अमर्त्य वीर पुत्र हो, दृढ़- प्रतिज्ञ सोच लो,

प्रशस्त पुण्य पंथ है, बढ़े चलो, बढ़े चलो!'



असंख्य कीर्ति-रश्मियाँ

विकीर्ण दिव्य दाह-सी

सपूत मातृभूमि के-

रुको न शूर साहसी !

अराति सैन्य सिंधु में, सुवड़वाग्नि से चलो,

प्रवीर हो जयी बनो - बढ़े चलो, बढ़े चलो !

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ